Kundli Dosh Nivaran | कुंडली दोष और उनके सटीक उपाय
सभी तरह के कुंडली दोष निवारण पूजा के बारे में जानें- राहु दोष, मंगल दोष, नाडी दोष और पितृ दोष निवारण पूजा आपको अपने जीवन को सही रास्ते पर लाने में मदद करेगी।
कुंडली में दोष
कुंडली दोष क्या है? कुंडली में कितने प्रकार के दोष होते हैं? कुंडली में दोष कैसे बनते हैं? क्या कुंडली में मौजूद दोषों का निवारण किया जा सकता है? जो भी जातक अपनी कुंडली दिखाना चाहता है उसका वास्ता इन सवालों से जरूर पड़ता होगा। असल में कुंडली बताती क्या है? आपका भविष्य! और आपका भविष्य कैसे निर्धारित होता है? वह होता है आपकी कुंडली में ग्रहों की दशा व दिशा से ग्रहों की यही दशा, स्थिति आपकी कुंडली में योग व दोष बनने का कारण बनती हैं। योग शुभ भी होते हैं और अशुभ भी जो अशुभ योग होते हैं उन्हें दोष भी कहते हैं? काल सर्प दोष, नाड़ी दोष, पितृदोष, श्रापित दोष आदि अनेक प्रकार के दोष कुंडली में देखे जाते हैं।
Kundli dosh nivaran in hindi
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कैसे बनते हैं कुंडली में दोष?
कुंडली में दोष बनने का कारण ग्रहों की नकारात्मक स्थिति होती है। जब कोई ग्रह नीच भाव में हो या फिर आपके लग्न, राशि को पाप ग्रह सीधे देख रहे हों तो इस प्रकार की स्थितियां कुंडली में दोष उत्पन्न करती हैं। मान्यतानुसार यह दोष इस जन्म के साथ-साथ पूर्व जन्म से भी जुड़े हो सकते हैं। जब जातक की कुंडली में कोई दोष उत्पन्न हो रहा हो तो उक्त अवस्था में संबंधित ग्रह के शुभ फल मिलने की बजाय वह ग्रह नेगेटिव परिणाम देने लगता है।
कुंडली में दोष का समय कितना होता है?
यह कुंडली में बन रहे दोष की स्थिति पर निर्भर करता है। यह दोष अल्पकाल के लिये भी बन सकते हैं और दीर्घकाल के लिये भी। जो दोष जातक की जन्मकुंडली में बनते हैं यदि उनका उपाय न किया जाये तो ज्योतिषशास्त्र की मान्यताओं के अनुसार जातक के जीवन पर इन दोषों का प्रभाव दीर्घकाल तक बना रहता है। मसलन मांगलिक दोष से मुक्ति पाने के लिये जातक को किसी मांगलिक से ही विवाह करना पड़ता है या फिर अन्य ज्योतिषीय उपाय करने पड़ते हैं। इसी प्रकार कालसर्प दोष से मुक्ति भी तभी मिलती है जब इस दोष का उपाय कर लिया जाये। इसी प्रकार यदि शनि से संबंधित दोष है तो इसकी अवधि भी लंबी होती है। साढ़े सात साल तक तो शनि की साढ़े साती प्रभावित करती है। जन्म के समय यदि कुंडली के किसी भाव में कोई ग्रह नीच अवस्था में है तो उस ग्रह का उस भाव में शुभ फल मिलता। श्रापित दोष किसी भी जातक की कुंडली में राहु और शनि की युति होने से बनता है। मान्यता है कि यह दोष जातक के पूर्वजन्मों के फल से बनता है।
क्या दोष के उपाय से मुक्ति मिल जाती है?
कहते हैं सवाल हैं तो जवाब भी जरूर होंगे, उसी प्रकार समस्या है तो समाधान भी जरूर मिलेंगें। कुंडली में मौजूद दोषों के निवारण के लिये भी ज्योतिषशास्त्र में अनेक विकल्प बताये जाते हैं। ग्रह विशेष की पूजा, ग्रह शांति पूजा, व्रत, स्नान, दान आदि के जरिये दोषों से मुक्ति के मार्ग बताये जाते हैं। लेकिन कुंडली में मौजूद दोष पूर्णत: समाप्त नहीं किये जा सकते हां कमजोर ग्रहों को बल देकर उन्हें निष्प्रभावी अवश्य बनाया जा सकता है।